S.No.-QUESTIONS |
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ANSWERS |
1---------------------------- । |
---------------------------------- coming soon----------------------। |
2--------------------------- । |
---------------------------------- coming soon----------------------। |
3-------------------------------- । |
---------------------------------- coming soon----------------------। |
4-------------------------------- । |
---------------------------------- coming soon----------------------। |
5---------------------------------- । |
---------------------------------- coming soon----------------------। |
Page No-112 :-1: श्लोकांशेषु रिक्तस्थानानि पूरयत–- |
स
(क) सीमन्तिषु का शान्ता राजा कोऽभूत् गुणोत्तमः (ख) कं सञ्जघान क्रुष्णः का शीतलवाहिनी गङ्गा? (ग) के दारपोषणरताः कं बलवन्तं न बाधते शीतम्। (घ) वृक्षाग्रवासी न च पक्षिराजः त्रिनेत्रधारी न च शूलपाणिः। |
Page No112 :-2:श्लोकांशान् योजयत–- |
किं कुर्यात् कातरो युद्धे --- मृगात् सिंहः पलायते। विद्वद्भिः का सदा वन्धा --- अत्रैवोक्तं न बुध्यते। कं सञ्जानः कृष्णः --- का शीतलवाहिनी गङ्गा। कथं विष्णुपदं प्रोक्तं --- तक्रं शक्रस्य दुर्लभम्। |
Page No 112:-3:उपयुक्तकथनानां समक्षम् ‘आम्’ अनुपयुक्तकथनानां समक्षं न इति लिखत–- यथा- सिंहः करिणां कुलं हन्ति।---आम् |
क- कातरो युद्धे युद्ध्यते। -----न ख-कस्तूरी मृगात् जायते। -----आम् ग-मृगात् सिंहः पलायते। ---न घ-कंसः जघान कृष्णाम्। ---न ड.-तक््रं शक्रस्य दुर्लभम्ं। ---न च-जयन्तः कृष्णस्य पुत्रः। ---आम् |
Page No 112:-4:सन्धिविच्छेदं पूरयत–- |
(क) करिणां कुलम् = करिणाम् + कुलम् (ख) कोऽभूत् = कः + अभूत् (ग) अत्रैवोक्तम् = अत्र + एव + उक्तम् (घ) वृक्षाग्रवासी = वृक्ष + अग्रवासी (ङ) त्वग्वस्त्रधारी = त्वक् + वस्त्रधारी (च) बिभ्रन्न = बिभ्रत् + न |
Page No 112:-5:अधोलिखितानां पदानां लिङ्गं विभक्तिं वचनञ्च लिखत–- |
पदानि------------------- लिङ्गम् -------------------विभक्तिः -------------------वचनम् कस्तूरी -------------------स्त्रीलिङ्गम्------------------ प्रथमा------------------- एकवचनम् युद्धे----------------------- पुंलिङ्गम्-------------------- सप्तमी -------------------एकवचनम् सीमन्तिनीषु --------------स्त्रीलिङ्गम्---------------- सप्तमी------------------- बहुवचनम् बलवन्तम्----------------- क्लीवलिङ्गम्-------------- द्वितीया----------------- एकवचनम् शूलपाणिः----------------- पुंलिङ्गम् -------------------प्रथमा------------------- एकवचनम् शक्रस्य------------------- पुंलिङ्गम्------------------- षष्ठी--------------------- एकवचनम् |
Page No 112:-6:(अ) विलोमपदानि योजयत–- |
जायते------ म्रियते वीरः------ कातरः अशान्ता -----शान्ता मूर्खैः -----विद्वद्भिः अत्रैव---- तत्रैव आगच्छति---- पलायते |
Page No 112:-6: (आ) समानार्थकापदं चित्वा लिखत–- |
(क) करिणाम् गजानाम्। (अश्वानाम्/गजानाम्/गर्दभानाम्) (ख) अभूत् अभवत्। (अचलत्/अहसत्/अभवत्) (ग) वन्द्या वन्दनीया। (वन्दनीया/स्मरणीया/कर्तनीया) (घ) बुध्यते अवगम्यते। (लिख्यते/अवगम्यते/पठ्यते) (ङ) घटः कुम्भः। (तडागः/नलः/कुम्भः) (च) सञ्जधान अमारयत् । (अमारयत्/अखादत्/अपिबत्) |
Page No 112:-7: कोष्ठकान्तर्गतानांं पदानामुपयुक्तविभक्तिप्रयोगेन अनुच्छेदं पूरयत––- |
एकः काकः आकाशे डयमानः आसीत्। तृषार्तः सः जलस्य आन्वेषणं करोति। तदा सः घटे अल्पं जलं पश्यति। सः उपलम् आनीय घटे पातयति। जलं घटस्य उपरि आगच्छति। काकः सानन्दं जलं पीत्वा तृप्यति। |